उत्तराखंड के 6000 से अधिक गांवों में अभी तक नहीं पहुंची सड़कें
उत्तराखंड राज्य को बने आज 22 साल हो चुके हैं, लेकिन यहां ऐसे अनेकों गांव हैं जहां सड़कें तो दूर मोबाइल नेटवर्क तक नहीं हैं। आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां लोगों के पास स्मार्ट फोन तो मोजूद है लेकिन फोन में सिग्नल तक नहीं आते हैं। अब हाल ही ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग ने प्रदेश के 5800 से अधिक गांवों के आंकड़े जारी किए हैं जहां लोगों को आज भी 8-15 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करनी होती है।
इन गांवों में यदि किसी व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जाती है तो उसे डंडी-कंडी के सहारे अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेशभर में 84 ऐसे गांव हैं जहां लोगों को 10 से अधिक किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर ही तय करनी पड़ती है। आयोग ने प्रदेश में पलायन का सबसे बड़ा कारण गांवों में सड़कों का आभाव और ख़राब स्वास्थ्य सेवा को माना है।
प्रदेश के इन ब्लाकों में सबसे कम सड़कें
विकासखंड ओखलकांडा 197, धौलादेवी में 194 व डीडहाट 191 गांव सड़कों से वंचित हैं। अलबत्ता विकासनगर, हल्द्वानी, रुद्रपुर और बाजपुर ब्लाॅक में सिर्फ एक-एक गांव सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। बता दें यह सभी मैदानी गांव हैं। इसके अलावा पहाड़ी गांवों की हालात और भी दयनीय हैं।
